Tuesday 10 May 2022

मेरी दुनिया

सोते ही तुम्हारे जैसे,

दुनिया मेरी सो जाती है। 

पल-पल हर पल,

बातें  तुम्हारी याद आती हैं।

विकास तिवारी 'Kaiviak

 

Tuesday 21 December 2021

मौसम को खत


मौसम को हमने खत लिखा

जब मिले वो, तो देना पढ़ा।

जब वो रुके तुम्हे देखकर

तो बरस जाना रुक रुक कर।

बिना उनकी सुने मेरे दोस्त

तुम वापस मत आना।

पर ख्वाहिशे तुम्हारी हा की

अब लुक छिप जाने लगी

फिर जो तुम

और बदल जाने लगी।

तो मेरी खुद को खुदा करने की मन्नत

अब पैमानों में समाने लगी।

by vikas tiwari #kaiviak

 

Sunday 26 January 2020

इंद्र धनुष के रंगों सा republic day 2020

इंद्र धनुष के रंगों सा
जिसकी धरती, आसमान है।
जंगल, नदियाँ, पशु और पक्षी
करते जिसका गुणगान है।
मेरी जान है वो मेरी शान है वो
मैं उसका और वो मेरा हिंदुस्तान है।
प्यास है बुझती जिसके जल से।
है प्राण बसे जिस कण-कण में।
है हवा खुली, है घटा खुली,
लगती जिसकी हर बात भली।
पत्ता- पत्ता चाहे जिसको,
जिसको चाहे हर कली-कली।
जिंदाबाद जिंदाबाद।
हिंदुस्तान जिंदाबाद।
गए जाते ये गीत ,
हर उपवन-उपवन,
 हर गली-गली।
 
विकास तिवारी 'Kaiviak

Friday 21 September 2018

ये रंगों की


1
ये रंगों की कलाकारी। 
जो कागज पे उतारी।। 
सबके नसीब में नही।
 "रब" की ये चित्रकारी।।

2
हो लम्बी उमर। 
हो मुकम्मल ये सफर। 
आखिर तेरे कंधे पर, 
मेरा भारत चमकता है। 
महकता है ये उपवन। 
हर परिंदा चहकता है। 

3
जीवन के अनुभव से,
 हमे खुद ही सिखना है।
 अपने और अपनों के घावों को, 
हमे खुद को ही सीना है। 
जिंदगी को लेकर तुम
 कोई भरम न पालो। 
ये खोई कभी जमीन के अंदर तो,
 कभी आसमान का चमकता नगीना है।

विकास तिवारी 'kaiv

Sunday 16 September 2018

हे उमासूत!!!



गणपति तुम्हारी होती, 
सबसे पहले पूजा। 
देवो में तुम देव, 
न तुमसा कोई दूज।
कष्ट क्लेश हरो ,
 हे उमासुत  मेरे।
 मैं बालक अनजान,
 द्वार खड़ा हूँ तेर। 

विकास तिवारी 'kaiv
















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Friday 14 September 2018

गणपति पूजा

गणपति तुम्हारी होती,
सबसे पहले पूजा।
देवो में तुम देव,
न तुमसा कोई दूजा।
कष्ट क्लेश हरो ,
है उमासूत मेरे।
मैं बालक अनजान,
द्वार खड़ा हूँ तेरे।
🍁🍁

विकास तिवारी #kaiv✍️

हिन्दी हमारी जननी

 
 
 
 
हिन्दी हमारी जड़ है,
जिसने हमे उगना सिखाया है। 

हिन्दी इस देश की ऊर्जा है,
जिसने हमे, हमारी संस्कृति को बतलाया है।
 
कौन सा पेड़ खड़ा हुआ जग में,
अपनी जड़ों को काट कर!!
 
अरे हिन्दी हमारी जननी है,
जिसने हमे गिरकर उठना सिखाया है।
 
हिन्दी है तो हम हिंदुस्तानी समूचे है,
ये नही तो हम शून्य, आधे-अधूरे है।

विकास तिवारी' kaiv

Sunday 2 September 2018

मेरा कृष्ण चंद्र


जिसके आने से गोकुल में,
दिन रात मची धूम-धाम।
वो तो है मेरा कृष्ण चंद्र,
मेरे घर-आँगन की शान।

जिसे देख मेरा मन हरषे,
जिससे पूरे होते मेरे अरमान।
वो तो है बंशी वाला मेरा,
मेरे खेत-बाग की शान।

वो लोक लाज का रखवाला,
रखता भक्तो की आन।
वो सत्यरूप, है दयासिन्धु,
दिए प्रवचन गीता का महान।
वो तो है मेरा चक्र-धर,
मेरे गॉव-देश की शान।
विकास तिवारी 'kaiv

Saturday 25 August 2018

चंद्रशेखर

वो तेज़ 
वो प्रताप 
वो धैर्य 
वो संताप 
वो वाणी की मधुरता 
वो महात्म्य 
वो दानवीरता 
वो गौरवमयी इतिहास 
वो निडरता 
ये उनकी कहानी 
आजाद देश के 
 "आजाद" की कहानी 
पं श्री चंद्रशेखर तिवारी 
को सत सत नमन 

विकास तिवारी 'kaiv

"प्रभु"



 "प्रभु" 
आप तेजो का तेज 
बलो का बल हो। 
कठोऱो  में कठोर ,
भक्तो में कोमल हो। 
वेद पुराण
 तुम्ही से सारे, 
तुम हो तो,
 मैं भी ब्रह्म  हूँ 
नही तो महामूर्ख, 
अधम हूँ। 

माता जानकी सहित 
विकास तिवारी   

अनजान सवार


अनजान सी कश्ती के, 
सवार जान पड़ते है ये दोनों। 
 बेनाम से रिश्ते को, 
अपना सा मान बैठे है ये दोनों। 
इस प्यार, अपनेपन के रिश्ते को, 
कोई नाम देना मुनासिब नही 'kaiv 
क्योंकि, एक दूजे को, 
बस खुदा मान बैठे है ये दोनों। 
विकास तिवारी' kaiv ✍️

मेरी दुनिया

सोते ही तुम्हारे जैसे, दुनिया मेरी सो जाती है।  पल-पल हर पल , बातें   तुम्हारी याद आती हैं। विकास तिवारी 'Kaiviak